अरुण जेटली ने कहा, 'लोगों के अच्छे दिन तब आएंगे जब देश के अच्छे दिन आएंगे. यूपीए सरकार ने अर्थव्यवस्था को खराब स्थिति में पहुंचा दिया. आज अपनी पीठ थपथपाते हैं पर सच्चाई यही है. अर्थव्यवस्था से लोगों का विश्वास उठा. उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे. हमारी कर नीति पर से लोगों का विश्वास उठ गया. लोगों ने निवेश करना बंद कर दिया. स्थानीय निवेशक विदेशों में पैसा लगाने लगे. आम आदमी के ऊपर बोझ बढ़ता रहा. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विकास स्थिर हो गया. सरकार की कमाई कम हो गई. सिर्फ 45 दिनों में इस स्थिति से देश को बाहर निकालना था. हमारे पास कोई चारा नहीं था. यह तो आरंभ है इस यात्रा का. यह अंत नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'इसकी शुरुआत हो गई है. हमारा उद्देश्य है कि कर नीति की स्थिरता को बनाएं. निवेश के लिए दरवाजे खोलें. सरकार की नीतियों में स्पष्टता लाएं ताकि हमारे उद्योगों में पैसा लगे. ऊंचे कर से उद्योग नहीं बढ़ते. इसलिए सब्सिडी देना जरूरी है. इंफ्रास्ट्रक्चर और समाज के हर दिशा में काम करना है. यही हमने किया. शुरुआत अच्छी रही. हम नहीं चाहते थे कि आम आदमी पर कोई बोझ पड़े. छोटे करदाताओं को लाभ मिलता रहे, यही किया है.'
Okay