जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले पंचायत और निगम चुनाव को लेकर राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ऐसा फैसला अनुच्छेद 35A के कारण किया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र सरकार को अनुच्छेद 35ए पर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. बुधवार को उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इसपर अपने रुख को साफ नहीं करती है और राज्य में शांति की कोशिशों को आगे नहीं बढ़ाती है हम इन चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे.
बता दें कि 35ए के मामले की सुनवाई अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि राज्य में अभी पंचायत चुनाव होने हैं इसलिए सुनवाई आगे बढ़ाई जाए. 35A के मुद्दे पर राज्य में लगातार विरोध हो रहा है, जिस समय सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे की सुनवाई हो रही थी तब भी कई बार राज्य में बंद बुलाया गया था.
हालांकि, अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन अक्टूबर-नवंबर में मतदान होने की संभावना है. गौरतलब है कि राज्य में भी राज्यपाल शासन चल रहा है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मसले पर ट्वीट कर जानकारी दी. उमर ने कहा कि अब ये पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह 35ए पर अपना रुख कब साफ करती है. पंचायत और निगम चुनाव का इस्तेमाल 35ए की सुनवाई टालने के लिए नहीं किया जा सकता है.
It is now for the central government to clarify where it stands with regard to Art 35-A. It’s not enough to use Panchayat & Municipal elections simply to delay proceedings in court. https://t.co/R0rwfS00Cs
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) September 5, 2018
क्या है अनुच्छेद 35A?
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें.
अनुच्छेद 35A, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.
अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.
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