ऐक्टर तापसी पन्नू से हुई बातचीत के पेश हैं कुछ खास अंशः
-सूरमा में हॉकी स्टिक के साथ मैदान में उतरना कैसा लग रहा है?
बहुत मजेदार लग रहा है. दिल की एक ख्वाहिश पूरी हो रही है. स्कूल में मैं स्पोर्ट्स में अव्वल रहती थी, स्क्वॉश खेलती थी. फिटनेस का एक जरिया है स्पोर्ट्स. मेरे पापा हॉकी में नेशनल लेवल के खिलाड़ी थे.
सूरमा में मुझे मौका मिला हॉकी खेलने का तो इसे मैं हाथ से गंवाना नहीं चाहती थी. इस फिल्म में अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की कहानी है. मैं हरप्रीत की भूमिका में हूं.
-पिंक में जहां आप एक पीड़िता थीं वहीं मुल्क में एक वकील की दमदार भूमिका में हैं. इसे आप किस तरह से देखती हैं?
ऐक्टर का एक रेगुलर ग्राफ होता है. छोटे लेवल से शुरू होता है. लोग किरदार को पसंद करते हैं. पिंक में मुझे भी सराहा गया. सिनेप्रेमियों ने मेरे अभिनय को पसंद किया. पिंक की वही पीड़िता अब एक वकील की भूमिका में है जो एक मुद्दे पर लड़ती है.
मैं दर्शकों और फिल्मकारों की शुक्रगुजार हूं कि मुझे अलग-अलग मौके दिए. मैंने ग्लैमरस रोल किए तो मुल्क जैसी फिल्म भी कर रही हूं.
-पिंक से आपको नेशनल अवॉर्ड मिलने की उम्मीद थी?
फिल्म को जब नेशनल अवॉर्ड मिलता है तो अच्छा लगता है, खुशी मिलती है. यही महत्वपूर्ण है. यह फिल्म एक मुद्दे पर बनी थी, मनोरंजन के लिए नहीं थी. जागरूकता के लिए इस फिल्म का खास महत्व था.
-तापसी पन्नू अब कितना कॉन्फिडेंट फील करती हैं?
मुंबई आने से पहले भी मैं आत्मनिर्भर थी. साउथ में अपना मुकाम बनाया. हिंदी फिल्मों में गॉडफादर के बिना अच्छी फिल्में कर रही हूं. फिल्मों का चयन अपने मन से करती हूं. बिंदास होकर काम कर रही हूं.
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Okay