खास बात यह है कि कुर्बानी के लिए किसी भी बकरे का इस्तेमाल नहीं किया जाता. कुर्बान किया जाने वाले बकरे को कोई बीमारी ना हो, उसकी आंखें, सींघ या कान बिल्कुल ठीक हो, वह दुबला-पतला ना हो. यही नहीं, बकरा बहुत छोटी उम्र का हो तो भी उसकी बलि नहीं दी जा सकती. दो या चार दांत आने के बाद ही उसकी कुर्बानी दी जाती है.