बजाज ऑटो के अध्यक्ष राहुल बजाज का मानना है कि मौजूदा साल भारतीय उद्योग जगत के लिए चुनौतीपूर्ण बना रहेगा. उनकी राय है कि बैंकों को लघु तथा मझोले उद्यमों को सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराना चाहिए.
निर्यात में आई भारी गिरावट
इस सवाल के जवाब में कि क्या बाजार में तेजी और 'फीलगुड' का उभरता हल्का एहसास वास्तविक है या महज मरीचिका, उन्होंने कहा कि यह कहना मुश्किल है. कुछ उद्योग ऐसे हैं जिन्होंने उम्मीद की किरण दिखाई. लेकिन कई ने उम्मीदों पर पानी फेरा. निर्यात में गिरावट आई है. कई कॉर्पोरेट भारी कर्ज में हैं. लेकिन भारतीय उद्योग आशावादी है और जहां भी मौके हैं, लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है.
बीत चुका है बदतर समय
राहुल बजाज कहते है कि भारत के लिए बदतर समय तो बीत चुका है, लेकिन 2009 भारतीय उद्योग के लिए कठिन साल बना रहेगा. उनका मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को वैश्विक मंदी की भयावहता से पूरी तरह अलग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि निर्यात और आइटी वैश्विक वृद्धि पर निर्भर हैं. पश्चिम की स्थिति 2010 तक ही सुधर सकती है. फंड का आना विकसित देशों की स्थिति पर निर्भर करेगा. अर्थव्यवस्था में सुधार की बाबत उन्होंने बताया कि सुधार की उम्मीद 2009 के अंत तक की जा सकती है.
तिमाही नतीजों पर रहेगी नजर
यह पूछे जाने पर कि आपके ख्याल में कैसे पता चलेगा कि अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है? क्या उसके कोई लक्षण दिखेंगे? उन्होंने कहा, ''मैं अमेरिका, यूरोप और चीन की घटनाओं, आइआइपी तथा तिमाही नतीजों पर नजर रखूंगा. बेरोजगारी के आंकड़ों और इस्पात, सीमेंट तथा ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों के विकास पर भी नजर रखनी होगी.''
राहुल बजाज की नजर में:
3 कदम, जो सरकार को उठाने ही चाहिए-
- बैंक लघु तथा मझोले उद्यमों और खुदरा उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर ऋण दें.
- बेहतर शासन हो, कार्यकुशलता में सुधार हो और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे.
- अनावश्यक सब्सिडी में कटौती कर प्रमुख परियोजनाओं में पैसा लगाएं.
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