80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद एक मिनी चुनाव भी हो सकता है और यह है विधानसभा की 36 सीटों पर उपचुनाव. अगर ऐसा होता है तो पहली बार इतनी बड़ी संख्या में उपचुनाव होंगे. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में उपचुनावों की नौबत तभी आएगी जब चुनाव लड़ रहे सभी 32 विधायक सांसद बन जाएं.
इसके अलावा विधानसभा की 4 सीटें भी खाली पड़ी हैं क्योंकि इन जगहों से चुने विधायकों ने दूसरे राजनैतिक दल में शामिल होने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या-32- में विधायक लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं. लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 18 विधायकों को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा के 7, बसपा के 5, कांग्रेस के 2 विधायक चुनाव मैदान में हैं.
इसके अलावा भाजपा से छोड़कर सपा में पहुंचे अजय राय और निर्दलीय विधायक आर.के. चौधरी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. जो चार विधानसभा सीटें खाली पड़ी हैं वे लखनऊ, मुरादाबाद, औरैया और मुजफ्फरनगर जिले की हैं. लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रमुख विधायकों में खुद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव शामिल हैं.
हालांकि उप चुनावों के नतीजों, यदि वे हुए तो, से 403 सीटों वाले सदन में 217 विधायकों का समर्थन प्राप्त मायावती सरकार की किस्मत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला. लेकिन लोकसभा चुनाव में जनता का मूड निश्चित तौर पर उप चुनावों की दिशा तय करेगा. चुनाव के वर्तमान दौर से ठीक पहले मायावती के नेतृत्व वाली बसपा भदोही उप चुनाव में शिकस्त पा चुकी है और जिस तरीके से सपा ने यह सीट जीती, निश्चित तौर पर उससे उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है.
Okay